रेणु का उपन्यासो में नारी विमर्श

Authors

  • अनीता कुमारी

Keywords:

नारी विमर्श, उपन्यासो

Abstract

फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यासों के अध्ययन से यह तथ्य सामने आता है कि उच्चवर्गीय नारियों में कुछेक नारियाँ महिमामयी प्रकृति की हैं जबकि उच्चवर्गीय नारियाँ चालाक और शोषक प्रवृत्ति की हैं। रेणु अपने उपन्यासों में नारी-चित्रण करते ही हैं, इसके साथ नारी मन की भावनाओं और उसकी मनःस्थितियों का संश्लिष्ट चित्रण भी करते हैं। ‘परती: परिकथा’ उपन्यास द्वारा यह पता चलता है कि निम्नवर्गीय नारी बड़े घरों में जैसे जमींदार आदि की हवेलियों में झाड़ू आदि देकर जीवन-यापन किया करती थीं। संक्षेप में नारी की नियति या नारी चित्रण की परिणति उसके बाध्य स्वरूप में ही नहीं है। स्त्रियाँ घरों, गलियों, कस्बों और शहरों से ही आई हैं। पुरुष अगर स्त्री के साथ मिलकर घरों, दफ्तरों, कारखानों, सड़कों, गलियों को ज्यादा रहने, काम करने, घूमने-फिरने योग्य स्थान नहीं बना सकता तो स्त्रियों को अपना रास्ता अलग चुनने का फैसला करना ही पड़ेगा। नारी का आधार नारी मन की भावनाओं और मनःस्थिति पर निर्भर है। उसका अस्तित्व सिर्फ समाज और पुरुष वर्ग के लिए मिट जाने के लिए ही नहीं, वरन स्वयं कर्मक्षेत्र में उतरने के लिए है।

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Published

2018-05-07

How to Cite

अनीता कुमारी. (2018). रेणु का उपन्यासो में नारी विमर्श. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 7(1), 86–90. Retrieved from https://eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/525