ऋग्वेदीय मंत्रों में दार्शनिकता

Authors

  • Joginder Singh Assistant Professor, Govt College, Hansi

Keywords:

देवभावना का सूत्रपात ऋग्वेद से आरंभ होता है।

Abstract

भारतीय चिन्तन परम्परा में देवभावना का सूत्रपात ऋग्वेद से आरंभ होता है। वेदों में वर्णित विभिन्न देवों में कुछ देवों का जगत की सृष्टि से सीधा संबंध है। ऐसे देवों में धाता, त्वष्टा, विश्वकर्मा, हिरण्यगर्भ तथा प्रजापति इत्यादि। धाता, सूर्य, चन्द्र, धुलोक, पृथिवी तथा अन्तरिक्ष का निर्माता है। इसी प्रकार त्वष्टा, जगत के समस्त प्राणियों को रूप सम्पन्न करने वाला है। ऋग्वेद के दो सम्पूर्ण सूक्तो में विश्वकर्मा की प्रशस्ति हैं।1 और उन्हें सब और नेत्र, मुख, भुजाओं और चरणों वाला माना गया है। शतपथ-ब्राह्मण में विश्वकर्मा को प्रजापति से अभिन्न स्वीकार किया गया है।2 प्रजापतिर्दै विश्वकर्मा।

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Published

2019-11-01

How to Cite

Joginder Singh. (2019). ऋग्वेदीय मंत्रों में दार्शनिकता. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 8(2), 8–11. Retrieved from https://eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/243