भारतीय दर्शन में मनश्शास्त्रीय अवधारणाः 'पातंजल योगसूत्र के सन्दर्भ में'

Authors

  • मेजर (डॉ.) बेला मलिक संस्कृत विभाग, सेठ मथुरादास बिनानी, राजकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, नाथद्वारा

Keywords:

भारतीय दर्शन, पातंजल योगसूत्र

Abstract

सभी विषय और सभी विज्ञान किसी न किसी रूप में अथवा अधिक उच्च स्तर पर दर्शनशास्त्र से संबन्धित हैं। कुछ विद्वानों ने तो इस बात पर भी तर्क दिया है कि सभी विज्ञानों और विषयों की उत्पत्ति दर्शनशास्त्र से होती है। यदि किसी भी विषय अथवा विज्ञान के इतिहास को देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि प्रत्येक विषय अथवा विज्ञान का प्रारम्भ ग्रीक काल के दर्शनशास्त्रियों के विचारों से ही हुआ है। मनोविज्ञान के साथ थोड़ी सी नई बात यह है किं मनोविज्ञान का प्रारम्भ में अध्ययन दर्शनशास्त्र में ही किया जाता था। अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र की एक शाखा के रूप में माना जा रहा था। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त तक मनोविज्ञान को केवल थोड़े से विश्वविद्यालयों में ही स्वतंत्र विषय के रूप में मान्यता मिल पायी थी।

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Published

2017-03-17

How to Cite

मेजर (डॉ.) बेला मलिक. (2017). भारतीय दर्शन में मनश्शास्त्रीय अवधारणाः ’पातंजल योगसूत्र के सन्दर्भ में’. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 6(1), 76–79. Retrieved from https://eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/867