चोल स्थापत्य कला : एक सक्षिप्त अध्ययन

Authors

  • डॉ0 प्रवीण कुमार तिवारी

DOI:

https://doi.org/10.56614/eiprmj.v13i1.528

Keywords:

स्थापत्य कला

Abstract

 दक्षिण भारत में 800 ई0 से 1280 ई0 तक का दीर्घ शासन काल चोल  के अन्तर्गत आता है। इस दौरान चोलों ने अपनी सत्ता एवं शक्ति का बिस्तार न केवल भारत वरन्, भारत के बाहरी क्षेत्र में भी स्थापित किया। अपनी सत्ता एवं संप्रभुता के चरमोत्कर्ष के समय उनकी सत्ता का बिस्तार उत्तर में गंगा घाटी से लेकर दक्षिण में श्री लंका तक विस्तृत था। इसके अतिरिक्त वर्मा, मलाया, तथा दक्षिण पूर्व एशिया के विस्तृत द्वीपों पर उनका वर्चस्व स्थापित था। समुद्री क्षेत्र में इनके वर्चस्व के कारण भारत के पूर्वी समुद्र तट को चोल मण्डल के नाम से जाना जाता था। द्रविड़ क्षेत्र में पल्लव, चालुक्य, राष्ट्रकूट एवं पाड्य शासकों को पराजित कर अपनी सर्वोच्च सत्ता स्थापित की। राजनीतिक विस्तार के इस दौर में चोल शासकों ने कला एवं संस्कृति को संरक्षण देने का कार्य किया। चोल शासकों के दौर इस क्षेत्र में भव्य एवं विशाल मंदिरों का निर्माण कराया गया, जो द्रविड़ शैली के सर्वोत्तम उदारहण माने जाते है। इनमें से बहुत से मंदिर वर्तमान समय में भी चोलों की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक भव्यता का प्रमाण प्रस्तुत करते है।

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Published

2024-01-28

How to Cite

डॉ0 प्रवीण कुमार तिवारी. (2024). चोल स्थापत्य कला : एक सक्षिप्त अध्ययन. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 13(1), 71–74. https://doi.org/10.56614/eiprmj.v13i1.528