गीता श्री के कथा साहित्य में विभिन्न दृष्टिकोण

Authors

  • पूनम देवी

Abstract

इस प्रकार अनेक भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों से साहित्य की परिभाषा के सम्बन्ध में विस्तार से विचार किया है फिर भी कोई ऐसी व्यापक एवं सर्वमान्य परिभाषा अभी तक स्थिर नहीं हो पाई है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि यही परिभाषा साहित्य के उस अर्थ की द्योतक है, जिसके अर्थ में आज व्यापक रूप से ‘साहित्य’ शब्द का प्रयोग हो रहा है। साहित्य को समाज का दर्पण बताया गया है। ऐसा इसलिए कहा गया है कि जैसे दर्पण में अपना मुँह देखकर मनुष्य अपने मुख के सब दोष दूर करने का प्रयास करता है उसी प्रकार साहित्य में मानव जीवन को ऐसे सुन्दर, मंगल और पूर्ण रूप से चित्रित किया जाता है कि पाठक या श्रोता उसे पढ़ या सुनकर अपने दोषों और त्रुटिओं का संस्कार और परिहार कर सके।

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Published

2023-06-03

How to Cite

पूनम देवी. (2023). गीता श्री के कथा साहित्य में विभिन्न दृष्टिकोण . Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 12(1), 328–333. Retrieved from https://eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/517