21वीं सदी के प्रथम दशक के महिला कहानी लेखन में पारिवारिक द्वंद्व
Abstract
प्राचीन सामाजिक संस्थाओं मंे चूंकि परिवार का विशिष्ट स्थान है। परिवार को प्राचीन जीवन मूलभूत इकाई माना जाता है। परिवार के द्वारा ही मानव अपना उत्कर्ष करता है। परिवार के द्वारा ही समाज का निर्माण होता है तथा इसे नागरिक जीवन की प्रथम पाठशाला माना जाता है। इस प्रथम पाठशाला का प्रभाव मनुष्य जीवन पर जीवन पर्यन्त रहता है। किंतु बदलते समाज में पारिवारिक पाठशाला को कम महत्व दिया जा रहा है। जिसके कारण संबंधों में द्वंद्व उत्पन्न हो रहा है। इन द्वंद्वों के परिणामस्वरूप पारिवारिक संबंधों में कमजोरी आ रही है। परिवार के सदस्यों मंे विचारधारा के आधार पर मतभेद आरम्भ होकर संबंध विच्छेद करके खत्म होता है। इस द्वंद्व के उत्पन्न होने का मूल कारण पारिवारिक द्वंद्व होता है।