विन्ध्य क्षेत्र की मध्यपाषाणिक संस्कृति में आजीविका

Authors

  • धीरज कुमार दुबे शोध छात्र, नागरिक पी0 जी0 कालेज जंघई, जौनपुर

Keywords:

विन्ध्य क्षेत्र की मध्यपाषाणिक संस्कृति

Abstract

मानव के पाषाणिक जीवन को तीन काल - पुरापाषाणकाल, मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाणकाल में विभाजित किया गया है। पुरापाषाणिक मानव यायावरी जीवन व्यतीत करता था और अपने जीविकोपार्जन हेतु पूर्णतः आखेट पर निर्भर था, इसलिए इस काल को ‘आखेटक काल’ कहा जाता है। मध्य पाषाण काल तक आते - आते वह एक स्थान पर बसना सीख गया था और अपनी आजीविका हेतु खाद्य सामग्री का संग्रह भी करने लगा था और अब आखेटक जीवन से “खाद्य संग्राहक’’ की अवस्था को प्राप्त हुआ। इसी काल में व पशु - पालन एवं कुछ जंगली अनाजों का उत्पादन भी करने लगा था, किन्तु नवपाषाणकाल आदि मानव के जीवन में एक क्रान्ति के युग का प्रतिनिधित्व करता है जबकि मानव ने कृषि करना प्रारम्भ किया और अब वह स्वयंउत्पादकबन गया। कृषि एवं पशुपालन प्रथम बार मध्य पाषाणकाल में प्रारम्भ हुए जो आगे चलकर नवपाषाणिक मानव की आजीविका से स्थायी रूप से जुड़ गये।1

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Published

2023-05-02

How to Cite

धीरज कुमार दुबे. (2023). विन्ध्य क्षेत्र की मध्यपाषाणिक संस्कृति में आजीविका. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 12(1), 208–210. Retrieved from https://eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/316